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क्या कृत्रिम गर्भाधान से रोज़ा अमान्य हो जाता है?

प्रश्न: 234124

मेरी शादी को आठ साल हो गए हैं और मेरी कोई संतान नहीं है। मैं कृत्रिम गर्भाधान कराना चाहती हूँ, लेकिन अपनी परिस्थितियों के कारण मैं भ्रूण प्रत्यारोपण की प्रक्रिया रमज़ान में दिन के दौरान करूँगी। क्या इससे रोज़ा अमान्य हो जाएगाॽ क्या मुझे उस दिन का प्रायश्चित्त करना होगा या नहींॽ

उत्तर का पाठ

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

''कृत्रिम गर्भाधान'' से तात्पर्य बिना संभोग के महिला के अंडे को पुरुष के शुक्राणु से निषेचित करना है।

कृत्रिम गर्भाधान आंतरिक या बाह्य रूप से किया जाता है।

आंतरिक गर्भाधान के मामले में : पुरुष से वीर्य लेकर पत्नी के गर्भाशय के अंदर उचित स्थान पर इंजेक्ट किया जाता है, ताकि शुक्राणु स्वाभाविक रूप से अंडे से मिले और उनके बीच निषेचन हो सके।

शुक्राणु को पत्नी के गर्भाशय के अंदर एक पतली कैथेटर (पतली ट्यूब) के माध्यम से इंजेक्ट किया जाता है जो शुक्राणुओं को गर्भाशय ग्रीवा (गर्भाशय की गर्दन) तक स्थानांतरित करता है।

बाह्य निषेचन (टेस्ट-ट्यूब बेबी) के लिए : पुरुष से शुक्राणु लिया जाता है, और महिला के अंडाशय से अंडाणु लिया जाता है, फिर उन्हें विशिष्ट शारीरिक स्थितियों के तहत एक मेडिकल टेस्ट ट्यूब में रखा जाता है ताकि उनके बीच निषेचन हो सके, फिर निषेचित अंडाणु को पत्नी के गर्भाशय में स्थानांतरित कर दिया जाता है ताकि यह गर्भाशय की दीवार से चिपक जाए और अन्य भ्रूणों की तरह विकसित हो सके।

कृत्रिम गर्भाधान के हुक्म को पहले कई फतवों में वर्णन किया जा चुका है। प्रश्न संख्या : (3474) का उत्तर देखें।

कृत्रिम गर्भाधान से रोज़े पर पड़ने वाले प्रभाव को जानने के लिए, कई नियमों का उल्लेख किया जाना ज़रूरी है :

1- हस्तमैथुन के माध्यम से पुरुष से शुक्राणु लेना : यदि यह रमज़ान के दिन के दौरान किया जाता है, तो जमहूर (अधिकांश) विद्वानों के अनुसार यह रोज़ा को तोड़ने वाली चीजों में से एक है।

इसलिए पुरुष को रमज़ान में दिन के दौरान इससे बचना चाहिए।

प्रश्न : (222234) का उत्तर देखें।

2- बाहरी गर्भाधान के मामले में महिला से अंडे को लेना : रोज़ा तोड़ने वाला नहीं माना जाता है; क्योंकि यह आमतौर पर लैप्रोस्कोप या वुल्वोस्कोप के माध्यम से किया जाता है, जहाँ सक्शन डिवाइस से जुड़ी एक बारीक सुई नाभि छिद्र और निचले पेट के बीच में डाली जाती है, और अंडे वाले तरल पदार्थ को बाहर निकाला जाता है, या यह अल्ट्रासाउंड का उपयोग करके किया जाता है।

इन दोनों में से किसी भी तरीक़े को रोज़ा तोड़ने वाला नहीं माना जाता है।

3- कैथेटर (ट्यूब) का उपयोग करके पुरुष के वीर्य को महिला की योनि में डालना भी रोज़ा तोड़ने वाला नहीं माना जाता है; क्योंकि गर्भाधान की यह प्रक्रिया न तो खाना है और न पीना है, न हक़ीक़त में और न रूप में, और न ही किसी भी तरह से खाने-पीने के अर्थ में है।

आधुनिक चिकित्सा ने साबित कर दिया है कि महिला की योनि पाचन तंत्र से बिल्कुल भी जुड़ी नहीं होती है, इसलिए महिला की योनि में प्रवेश करने वाली किसी भी चीज़ को रोज़ा तोड़ने वाला नहीं माना जा सकता है।

अल-बहूती ने कहा : "पुरुष का लिंग उसकी योनि में प्रवेश करने से उसका रोज़ा इसलिए टूट गया; क्योंकि यह संभोग है, आंतरिक प्रवेश नहीं है और संभोग से रोज़ा टूट जाता है; क्योंकि इससे स्खलन होने की संभावना होती है।" “शर्ह मुन्तहा अल-इरादात” (2/364)

इस्लामिक फ़िक़्ह काउंसिल ने इसी दृष्टिकोण को अपनाया है, जैसा कि उसने निर्णय लिया है कि योनि में प्रवेश करने वाली किसी भी चीज़ को रोज़ा तोड़ने वाला नहीं माना जाएगा, उसके बयान में कहा गया है कि : निम्नलिखित चीज़ों को रोज़ा तोड़ने वाली चीज़ों में से नहीं माना जाएगा :

  • योनि में डाली जाने वाली बत्ती (सपोसिटरी), लोशन, योनि स्पेकुलम, या चिकित्सा परीक्षण के लिए एक उंगली।
  • गर्भाशय में स्कोप, या आईयूडी आदि डालना।
  • कुछ भी जो पुरुष या महिला के मूत्रमार्ग में प्रवेश करता है, जैसे कैथेटर  (बारीक ट्यूब), एंडोस्कोप, एक्स-रे कंट्रास्ट सामग्री (एक प्रकार की नैदानिक ​​इमेजिंग के लिए अपारदर्शी डाई), दवा या मूत्राशय को धोने के लिए घोल।”  “क़रारात मजमउल-फ़िक्ह अल-इस्लामी” (पृष्ठ 312) से उद्धरण समाप्त हुआ।

इसके अलावा, इस विधि के माध्यम से वीर्य डालने को संभोग नहीं माना जाता है। इसी लिए इमाम नववी रहिमहुल्लाह ने कहा है : "यदि वह अपनी योनि या गुदा में वीर्य डालती है : तो उसके लिए ग़ुस्ल करना आवश्यक नहीं है।" रौज़तुत्-तालिबीन” (1/85) से उद्धरण समाप्त हुआ।

तथा अन-नफ़रावी ने कहा : "अगर किसी महिला की योनि में वीर्य प्रवेश कर जाता है, जबकि उसका वीर्य उत्सर्जित न हो तो उसपर ग़ुस्ल करना अनिवार्य नहीं है।" "अल-फ़वाकिह अद-दवानी" (1/117) से उद्धरण समाप्त हुआ।

प्रश्न : (141858) का उत्तर देखें ।

इसके आधार पर : कृत्रिम गर्भाधान की प्रक्रिया, चाहे आंतरिक हो या बाहरी, और गर्भाशय में भ्रूण को प्रत्यारोपित करने की प्रक्रिया; किसी औरत के रोज़े को ख़राब (अमान्य) नहीं करती है।

लेकिन बेहतर यह है कि महिला, अपने रोज़े की रक्षा करते हुए और संदेह से बचने के लिए, रमज़ान के दौरान जितना हो सके ऐसा करने से बचे।

अधिक जानकारी के लिए, प्रश्न संख्या : (49727) का उत्तर देखें।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत

साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर

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