तश्रीक़ के दिनों में अनिवार्य रोज़े की क़ज़ा करना सही नहीं है
रमज़ान के रोज़ों की क़ज़ा में निरंतरता अनिवार्य नहीं है
क्या महिला को रमज़ान की क़ज़ा से शुरूआत करनी चाहिए या शव्वाल के छ: रोज़े से ?
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