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पोर्क के निषिद्ध होने का क्या कारण है ?

प्रश्न: 112010

मैं माल्टा में रहने वाला एक अरब मूल का व्यक्ति हूँ, मैं सुअर के मांस के निषिध होने का कारण जानना चाहता हूँ, क्योंकि मेरे साथ काम करने वाले दोस्तों ने मुझ से इसके बारे में पूछा है।

उत्तर का पाठ

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

हर प्रकार की प्रशंसाऔर गुणगान अल्लाह तआला के लिए योग्य है ।

मूल रूप से एक मुसलमानअल्लाह के आदेश का पालन करता है और उसकी मना की हुई बातों से बचाव करता है, चाहे उसचीज़ के अन्दर अल्लाह सुब्हानहु व तआला की हिकमत (तत्वदर्शिता) का उसे बोध हा या न हो।

मुसलमान के लिए वैध नहींहै कि वह शरीयत के आदेश को नकार दे, या उसको लागू करने में संकोच करे यदि उसे उसकीहिक्मत का बोध न हो, बल्कि किसी चीज़ के हलाल (वैध) और हराम (अवैध) ठहराये जाने के बारेमें शरीयत के हुक्म को स्वीकार करना अनिवार्य है जब भी वह प्रमाण सिद्ध हो जाये ; चाहेउसे उसकी हिकमत की समझ हो या न हो। अल्लाह तआला का फरमान है :

“और (देखो) किसीमुसलमान मर्द और औरत को अल्लाह और उसके रसूल के फैसले के बाद अपनी किसी बात का कोईअधिकार बाक़ी नहीं रह जाता। (याद रखो!) अल्लाह तआला और उसके रसूल की जो भी नाफरमानीकरेगा वह खुली गुमराही में पड़ेगा।” (सूरतुल अहज़ाब : 33)

तथा अल्लाह तआला का फरमानहै :

“ईमान वालों काकहना तो यह है कि जब उन्हें इसलिए बुलाया जाता है कि अल्लाह और उसके रसूल उन में फैसलाकर दें, तो वे कहते हैं कि हम ने सुना और मान लिया, यही लोग कामयाब होने वाले हैं।”(सूरतुन नूर : 51)

इस्लाम में सुअर का मांसक़ुर्आन के स्पष्ट प्रमाण के द्वारा हराम (निषिद्ध) किया गया है, और वह अल्लाह तआलाका यह कथन है : “तुम पर मुर्दा, (बहा हुआ) खून और सुअरका मांस हराम है।” (सूरतुल बक़रा : 173)

किसी भी परिस्थिति मेंमुसलमान के लिए उसको खाना वैध नहीं है सिवाय इसके कि उसे ऐसी ज़रूरत पेश आ जाये जिसमें उसका जीवन उसे खाने पर ही निर्भर करता हो, उदाहरण के तौर पर उसे ऐसी सख्त भूख लगीहो कि उसे अपनी जान जाने का भय हो, और उसके अतिरिक्त कोई दूसरा भोजन न हो, तो शरीयतके नियम : “आवश्यकतायें, अवैध चीज़ों को वैध बना देती हैं।” के अंतर्गत उसकेलिए यह वैध होगा।

शरीयत के ग्रंथों मेंसुअर के मांस के हराम किए जाने के किसी विशिष्ट कारण का उल्लेख नहीं किया गया है, इसके बारे में केवल अल्लाह तआला का यह कथन है कि : “यह निश्चित रूप से गंदा -अशुद्धऔर अपवित्र- है।”

“रिज्स” (अर्थात्अपवित्र) का शब्द उस चीज़ पर बोला जाता है जो शरीयत में तथा शुद्ध मानव प्रकृति वालेलोगों की निगाह में घृणित, घिनावनी और अशुद्ध हो। और मात्र यही कारण उस के हराम होनेके लिए पर्याप्त है। इसी तरह एक सामान्य कारण भी वर्णित हुआ है, और वह खाने और पीनेइत्यादि में हराम चीज़ों की निषिद्धता के बारे में वर्णित कारण है, और वह पोर्क के निषेद्धकी हिक्मत की ओर संकेत करता है, वह सामान्य कारण अल्लाह तआला का यह फरमान है :

“और वह (अर्थात्पैग़म्बर) पाक (शुद्ध) चीज़ों को हलाल (वैध) बताते हैं और नापाक (अशुद्ध) चीज़ों को हराम(अवैध) बताते हैं।” (सूरतुल आराफ : 157)

इस आयत का सामान्य अर्थसुअर के मांस के निषिद्ध होने के कारण को भी सम्मिलत है, और इस से ज्ञात होता है किपोर्क इस्लामी शरीयत के दृष्टिकोण में अशुद्ध और अपवित्र चीज़ों में से गिना जाता है।

इस स्थान पर “अपवित्रचीज़ों” (खबाइस) से अभिप्राय वह सब कुछ़ है जो मानव के स्वास्थ्य, धन और नैतिकताके लिए हानिकारक हो, अत: हर व चीज़ जिस का मानव जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं में से किसीएक पर भी नकारात्मक परिणाम और दुष्टप्रभाव हो वह अपवित्र (खबाइस) के अतंर्गत आता है।

वैज्ञानिक और चिकित्साअनुसंधानों ने भी यह सिद्ध किया है कि सुअर, अन्य सभी जानवरों के बीच मानव शरीर केलिए हानिकारक रोगाणुओं का एक भण्डार है, इन हानिकारक तत्वों और रोगों का विस्तार लंबाहै, संछिप्त रूप से वे इस प्रकार हैं :

परजीवी रोग, जीवाणु रोग, वायरल रोग, बैक्टीरियलबीमारियां, और अन्य।

ये और अन्य हानिकारकप्रभाव इस बात का प्रमाण हैं कि बुद्धिमान शास्त्रकार ने सुअर का मांस खाना किसी व्यापकहिक्मत के लिए ही हराम ठहराया है, और वह मानव के जान (स्वास्थ्य) की रक्षा है, जो किइस्लामी शरीयत के द्वारा संरक्षित पाँच बुनियादी ज़रूरतों में से एक है।

और अल्लाह तआला ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान रखने वालाहै।

स्रोत

साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर

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