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काफिरों के त्यौहारों (धार्मिक समारोहों) में भाग लेने का हुक्म

प्रश्न: 1130

मैं ने बहुत से मुसलमानों को देखा है कि वे क्रिसमस और कुछ दूसरे समारोहों और त्यौहारों में शामिल होते हैं। क्या क़ुर्आन व हदीस से कोई प्रमाण है जो मैं उन्हें दिखला सकूँ जो इस बात पर तर्क हो कि ये प्रथायें अवैध हैं?

उत्तर का पाठ

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

काफिरों के त्यौहारों में भाग लेना निम्नलिखित बातों के कारण वैध नहीं हैः

सर्व प्रथम : यह उनकी छवि अपनाना और नक़्ल करना है, और "जिस ने किसी क़ौम की छवि अपनाई वह उसी में से है।" इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है। (यह एक गंभीर चेतावनी है), अब्दुल्लाह बिन अल-आस कहते हैं : जिस ने मुश्रिकों की धरती पर निर्माण किया, उन का नीरोज़ (नव वर्ष दिवस) और उन के त्यौहारों को मनाया और उनकी छवि अपनाई, वह क़ियामत कि दिन घाटे में होगा।

दूसरा : उनके त्यौहारों और समारोहों में शामिल होना उन के साथ मित्रता और प्रेम का एक प्रकार है, अल्लाह तआला का फरमान है : "तुम यहूदियों और ईसाईयों को दोस्त न बनाओ, यह तो आपस में ही एक दूसरे के दोस्त हैं, तुम में से जो कोई भी इन से दोस्ती करे तो वह उन में से है, ज़ालिमों को अल्लाह तआला कभी भी हिदायत नहीं देता।" (सूरतुल माईदा : 51)

तथा अल्लाह तआला ने फरमाया : "हे वे लोगो जो ईमान लाये हो! मेरे और अपने दुश्मनों को अपना दोस्त न बनाओ, तुम तो दोस्ती से उनकी ओर संदेश भेजते हो और वे उस सच को जो तुम्हारे पास आ चुका है इंकार करते हैं, रसूल को और स्वयं तुम को भी केवल इस वजह से निकालते हैं कि तुम अपने रब पर ईमान रखते हो, अगर तुम मेरे रास्ते में जिहाद के लिए और मेरी खुशी की खोज में निकले हो (तो उन से दोस्ती न करो), तुम उन के पास प्रेम का संदेश छिपा-छिपा कर भेजते हो और मुझे अच्छी तरह मालूम है जो तुम ने छिपाया और वह भी जो ज़ाहिर किया, तुम में से जो भी इस काम को करेगा वह बेशक सीधे रास्ते से भटक जायेगा।" (सूरतुल मुम्तहिना : 1)

तीसरा : ईद ( अर्थात त्यौहार) एक धार्मिक और विश्वास (आस्था) से संबंधित मुद्दा है, सांसारिक प्रथा नहीं है, जैसाकि इस हदीस से पता चलता है कि : "हर क़ौम की एक ईद (त्यौहार) है, और यह हमारी ईद (त्यौहार) है।" और उनकी ईद (त्यौहार) एक भ्रष्ट शिर्क और कुफ्र के अक़ीदा (आस्था) को दर्शाती है।

चौथा : अल्लाह तआला के फरमान : "और जो लोग झूठी गवाही नहीं देते, और जब वे किसी व्यर्थ (लग़्व) के क़रीब से गुज़रते हैं तो इज़्ज़त से गुज़र जाते हैं।" (सूरतुल फुरक़ान : 72) की व्याख्या विद्वानों ने मुशरिकों के त्यौहारों से की है। इसी प्रकार उन में से किसी को ईद-कार्ड उपहार में देना, या उसे उनसे बेचना और इसी तरह उन के त्यौहारों की समस्त आवश्यक चीज़ें जैसे रोशनी (लाइट, बत्ती), पेड़, और खाने के पदार्थ न तुर्कीमुर्गाऔर न ही वह मिठाईयाँ जो छड़ी के रूप में बनाई जाती हैं, या इन के अलावा अन्य चीज़ें उनसे बेचना जाइज़ नहीं है।

इसी से मिलते जुलते एक प्रश्न का उत्तर पहले दिया जा चुका है जिस में अधिक जानकारी और विस्तार है, देखिये प्रश्न संख्या : 947.

स्रोत

शैख मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद

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