हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवलअल्लाह के लिए योग्य है।
पति के लिए इस बात की अनुमति नहीं हैकि वह अपनी पत्नी को काम करने के लिए घर से बाहर निकलने पर बाध्य करे, क्योंकि सर्वसम्मति के साथ उसके ऊपरपत्नी का खर्च अनिवार्य है, तथा अल्लाह तआला काफरमान है :
الرِّجَالُقَوَّامُونَ عَلَى النِّسَاءِ بِمَا فَضَّلَ اللَّهُ بَعْضَهُمْ عَلَى بَعْضٍوَبِمَا أَنْفَقُوا مِنْ أَمْوَالِهِمْ [النساء : 34].
“पुरूष, महिलाओं पर निरीक्षक हैं, इसकारण कि अल्लाह ने एक को दूसरे पर विशेषता दी है, और इस कारण कि पुरूषों ने अपना धन खर्चकिया है।” (सूरतुन्निसा : 34).
तथा जाबिर रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायतहै कि उन्हों ने कहा कि : नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “तुम महिलाओं के बारे में अल्लाह तआलासे डरो, क्योंकि तुम ने उन्हें अल्लाह की अमानतसे लिया है, और उनकी शरमगाहों को अल्लाह के कलिमा (वचन) के द्वारा हलाल किया है,और उनका तुम्हारे ऊपर अधिकार यह है कि तुम परंपरा के अनुसार उन की जीविका और कपड़ेकी व्यवस्था करो।” इसे मुस्लिम (हदीस संख्या : 1218) नेरिवायत किया है।
इमाम नववी रहिमहुल्लाह ने फरमाया : “इससे पत्नी के खर्च और कपड़े कीअनिवार्यता का पता चलता है, और यह बात सर्वसम्मति के साथ प्रमाणित है।” “शरह सहीह मुस्लिम” (8/184) से अंत हुआ।
तथा प्रश्न संख्या (5591) और (12465)का उत्तर देखें।
जहाँ तक आपके शादी के अनुबंध को समाप्तकरने की अभिरूचि का संबंध है तो हम आप को नसीहत करते हैं कि इस बारे में कोईनिर्णय लेने से पहले पति के साथ समझौता होना चाहिए, तथा काम करने के इस मुद्दे औरइसके अलावा अन्य मुद्दे जिनके अंदर आप दोनों के बीच मतभेद है उनके बारे में उसकेसाथ अच्छी तरह से बातचीत और सुचारू ढंग से चर्चा होना चाहिए।
तथा हम आप को यह भी सलाह देते हैं किशादी के मामले को संपन्न करने के मामले में सोच विचार और सावधानी से काम लेनाचाहिए, ताकि आप जीविका के बोझ को उठाने पर उसकी आर्थिक क्षमता से आश्वस्त हो जाएं,और इस बात से कि यह आप दोनों के जीवन के स्वभाव और आप दोनों के बीच के संबंध कोप्रभावित नहीं करेगा।
तथा हम आपको यह भी सलाह देते हैं किजितना हो सके तलाक़ से दूर रहें, सिवाय इसके कि ऐसी परिस्थिति आ जाए कि आप उनमतभेदों के प्रकाश में उसके साथ जीवन बिताना कठिन या दुर्लभ समझें। तथा आप अपनेपरिवार के विचार और परामर्श वाले लोगों से परामर्श और सलाह लें और इस संबंध मेंउनके विचार से मार्गदर्शन प्राप्त करें, अल्लाह आप को तौफीक़ प्रदान करे और शुद्धमार्ग दर्शाए।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञानरखता है।