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64,90718/04/2016

एक हिंदू प्रश्न कर रहा है कि : कौनसा धर्म बेहतर है, हिंदू धर्म या इस्लाम, और क्यों?

प्रश्न: 209139

मैं हिंद महासागर के एक देश मॉरीशस का रहनेवाला हूँ। कृपया मुझे बतलाएं कि सबसे अच्छा धर्म कौनसा है, हिंदू धर्म या इस्लाम और क्यों?मैं स्वयं एक हिंदू हूँ।

उत्तर का पाठ

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

उत्तरः

हर प्रकारकी प्रशंसा औरगुणगान केवल अल्लाहके लिए योग्य है।

सबसे अच्छाधर्म वह धर्म हैजो यह प्रमाणितकरने की क्षमतारखता हो कि वहीवह धर्म है जिसेसृष्टिकर्ता अल्लाहसर्वशक्तिमानपसंद करता है, और उसेमानवता के लिएप्रकाश के तौरपर उतारा है, जो उन्हेंउनके जीवन मेंसौभाग्य प्रदानकरता है और उन्हेंउनके परलोक केजीवन में मोक्षप्रदान करेगा।तथा प्रमाण यासबूत के लिए ज़रूरीहै कि वह उज्जवलऔर स्पष्ट हो, लोगोंको उसमें कोई शकन हो, और लोगों के अंदरउसके समान चीज़लाने की शक्तिऔर सामर्थ्य नहो। क्योंकि दज्जाललोग अपने झूठ परजो गिरे हुए औरकमज़ोर प्रमाण प्रस्तुतकरते हैं उन्हेंअल्लाह सर्वशक्तिमानभली-भांति जानताहै। इसलिए अल्लाहसर्वशक्तिमानने अपने पैगंबरोंऔर ईश्दूतों काव्यापक व समग्रचमत्कारों और प्रत्यक्षलक्षणों द्वारासमर्थन करने काचयन किया जो लोगोंके लिए इस व्यक्तिकी सत्यता को प्रमाणितकरते हैं जिसकीओर उसके पालनहारकी ओर से वह्य (ईश्वाणी)की गई है, चुनाँचे लोगउसमें विश्वासरखते हैं और उसकापालन करते हैं।

इस प्रकारइस्लाम के संदेष्टामुहम्मद सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमप्रभावशाली व उज्जवलचमत्कारों के साथआए, जो बहुतअधिक हैं जिनकेबारे में बड़ी-बड़ीपुस्तकें लिखीगई हैं। लेकि उनमेंसबसे महान और प्रधानदिव्य क़ुरआन है, जिसनेअरबों को चुनौतीदी है कि वे कोईऐसी चीज़ लाकर दिखाएंजो पूर्णता केसभी पहलुओं मेंउसके समान हो।क्योंकि उसमेंशब्दाडंबरपूर्ण(आलंकारिक) चमत्कारपाया जाता है, चुनाँचेक़ुरैश के वाक्पटुसुवक्ता – जबकिवे सभी इतिहासकारोंकी गवाही के अनुसारवाग्मिता और सुभाषणके शिखर पर पहुँचेहुए थे – इसके समानकोई चीज़ प्रस्तुतनहीं कर सके। तथाइसमें वैज्ञानिकचमत्कार भी है, चुनाँचेक़ुरआन करीम – इसीतरह नबी सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमकी सुन्नत – ऐसेवैज्ञानिक तथ्योंपर आधारित हैंजिस तरह की चीज़ेंउस ज़माने में किसीमनुष्य के लिएप्रस्तुत करनासंभव नहीं था सिवायइसके कि उसकी ओरवह्य (ईश्वरीयवाणी)की जाती हो। तथाइसमें प्रोक्षसे संबंधित चमत्कारपाया जाता है, चुनाँचेक़ुरआन ने पहलेऔर बाद में आनेवालोंके इतिहास के बारेमें बात किया है, जबकि मुहम्मदसल्लल्लाहु अलैहिव सल्लम को इतिहासका पूर्वज्ञाननहीं था, बल्कि उस देशमें कोई ऐसा व्यक्तिथा ही नहीं जो वस्तुतःइसका ज्ञान रखताहो सिवाय अहलेकिताब (यानी यहूदियोंव ईसाइयों) के कुछअवशेष लोगों के।तथा इसमें विधायीचमत्कार भी हैजो एक संपूर्णऔर व्यापक प्रणालीमें प्रकट होताहै, जिसकाआरंभ नैतिकता, व्यक्तिगतशिष्टाचार, परिवारऔर पर्सनल स्थितिके प्रावधानोंसे होता है। जोअंतर्राष्ट्रीयसंबंधों और सामुदायिकप्रावधानों कोसंगठित करता है।जो मानव जाति केबीच न्याय और स्वतंत्रताके स्द्धिांतोंकी स्थापना करताहै, तथा संसार, प्रोक्षऔर परलोक के अवधारणाओं, और सौभाग्यऔर दुर्भाग्य केअवधारणाओं को प्रमाणितकरता है। ये सारीचीज़ें एक निरक्षरआदमी से जारी होतीहैं जो पढ़ना लिखनानहीं जानता है, लेकिनउसके दोस्तों सेपहले उसके दुश्मनउसकी सच्चाई औरअमानतदारी की गवाहीदेते हैं। वह इसक़ुरआन को ग्रहणकरता है ताकि इसकेद्वारा विशाल इस्लामीसभ्यता की स्थापनाकरे जिसका विस्तारचौदह सदी से अधिकसमय तक रहता है।

हमारे विचारमें सबसे अच्छाधर्म, वह धर्म है जो आपको केवल एक शक्तिसे जोड़ता है, यह वहीशक्ति है जिसनेआपको पैदा कियाऔर आपको अनुग्रहप्रदान किया है, और वह आकाशोंऔर धरती की बागडोरका मालिक है। यहवही शक्ति है जोआपके दूसरे जीवनमें आप पर दया करेगीऔर आपके साथ होगीयदि आप उसपर ईमानलाए और अच्छा कामकिया। वह अल्लाहसर्वशक्तिमानहै, जो एक, अकेलाऔर बेनियाज़ (निस्पृह)है। और वह (धर्म)आपको उसके अलावाकिसी अन्य से नहींजोड़ता है, क्योंकि उसकेअलावा हर चीज़ रचना, कमज़ोरऔर अल्लाह महिमावानकी ज़रूरतमंद है।इस तरह मनुष्यसत्य अल्लाह केसिवाय गुलामी केसमस्त बंधनों सेमुक्त हो जाताहै, तथा भूमिसंपर्कों से छुटकारापा जाता है जो किमानवता के लिएअपमान, अत्याचार, उत्पीड़नऔर वर्चस्व केकारण बनते हैं।यह सब एक झूठे धर्मके नाम पर कियाजाता है जो वर्गव्यवस्था (वर्गभेद)को प्रमाणित करताहै। (देखिए: डॉ. आज़मीकी किताब ‘‘दिरासात’’ का अध्याय‘‘हिन्दूसमाज में वर्गीकरण’’), तथा अल्लाहसर्वशक्तिमानके अलावा की गुलामीको स्वीकार करताहै, बल्किजानवरों जैसे गायइत्यादि की पूजाको स्वीकारता है।चुनाँचे वह मनुष्यजिसे अल्लाह नेबुद्धि और आत्मासे सम्मानित कियाहै जो अल्लाह सर्वशक्तिमानकी आत्मा से है, उस चीज़का बंदी बन जाताहै जिसे वह उन जानवरोंमें से पवित्र, प्रतिष्ठितऔर सम्माननीय क़रारदेता है, हालांकि वहउसके लिए लाभ औरहानि के मालिकनहीं हैं, बल्कि स्वयंअपने लिए भी किसीचीज़ के मालिक नहीं, दूसरेकी बात तो बहुतदूर है।

सबसे अच्छाधर्म वह है जो एकऐसी संपूर्ण प्रणालीरखता है जो लोकऔर प्रलोक मेंखुशी व सौभाग्यके रास्तों कीओर मनुष्य का मार्गदर्शनकरता है; क्योंकि धर्मोंका उद्देश्य सौभाग्यकी प्राप्ति है, और उसेअल्लाह सर्वशक्तिमानके मार्गदर्शनके बिना प्राप्तकरना संभव नहींहै। और इस भरपूरसौभाग्य और सुखको प्राप्त करनेके लिए, इस्लाम में आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक, पारिवारिकऔर मनोवैज्ञानिकपहलुओं में हरप्रकार का मार्गदर्शनपाया जाता है।जब मुसलमानों नेप्रथम युग मेंइस मार्गदर्शनको अपनाया, तो धरतीको हर भलाई, न्यायऔर निष्पक्षता(इंसाफ) से भर दिया, और जब उन्होंने इससे उपेक्षाकिया तो उनसे वेलाभ छिन गए जो अल्लाहने उन्हें प्रदानककिए थे।

सबसे अच्छाधर्म वह है जो कालानुक्रमिकक्रम में सबसेनवीनतम है, अपने सेपूर्व सत्य धर्मोंकी पुष्टि करनेवाला, कुछ पूर्वविधानों को मंसूखकरनेवाला है जोउसके फैलाव केसमय और स्थान केअनुसार अवतरितहुए थे, तथा उन धर्मोंमें वर्णित शुभसूचनाओंको सुनिश्चित करनेवालाहै, जो (शुभसूचनाएं)एक ऐसे ईश्दूतके बारे में सूचनादेती हैं जो अंतिमकाल में अवतरितहोगा, और उसकी निशानियोंऔर गुणों का वर्णनकरती हैं। चुनाँचेक़ुरआन करीम नेहमें सूचना दीहै कि सभी पूर्वईश्दूत और पैगंबरइस बात को जानतेथे कि अंतिम कालमें एक पैगंबरभेजा जाएगा, जिसकानाम मुहम्मद है, अल्लाहसर्वशक्तिमानउस पर संदेशोंका अंत कर देगा।अल्लाह तआला काफरमान है :

وَإِذْ أَخَذَ اللَّهُمِيثَاقَ النَّبِيِّينَ لَمَا آتَيْتُكُمْ مِنْ كِتَابٍ وَحِكْمَةٍ ثُمَّجَاءَكُمْ رَسُولٌ مُصَدِّقٌ لِمَا مَعَكُمْ لَتُؤْمِنُنَّ بِهِ وَلَتَنْصُرُنَّهُقَالَ أَأَقْرَرْتُمْ وَأَخَذْتُمْ عَلَى ذَلِكُمْ إِصْرِي قَالُوا أَقْرَرْنَاقَالَ فَاشْهَدُوا وَأَنَا مَعَكُمْ مِنَ الشَّاهِدِينَ [سورة آلعمران :81]

‘‘और याद करो जब अल्लाहतआला ने पैग़म्बरोंसे अहद व पैमान(वचन) लिया कि जोकुछ मैं तुम्हेंकिताब और हिकमतदूँ, फिर तुम्हारेपास वह पैग़म्बरआए जो तुम्हारेपास की चीज़ को सच्चबताए तो तुम अवश्यउस पर ईमान लाओगेऔर निश्चय ही उसकीसहायता करोगे।फरमाया : क्या तुमइसके इक़रारी होऔर इस पर मेरा ज़िम्मा(वचन) ले रहे हो? सब ने कहाकि हमें स्वीकारहै, फरमाया: तो अब गवाह रहोऔर स्वयं मैं भीतुम्हारे साथ गवाहोंमें हूँ।’’ (सुरत आल-इम्रान3: 81)

यही कारण हैकि हम पिछले धर्मोंकी अविकृत अवशेषोंमें इस पवित्रपैगंबर के बारेमें स्पष्ट शुभसूचनाएंपाते हैं। चुनाँचेतौरात और इंजीलइन शुभसूचनाओंसे भरे हैं, लेकिनउन्हें यहाँ उल्लेखकरने की आवश्यकतानहीं है। बल्किहमारे लिए यहाँमहत्वपूर्ण हमारेईश्दूत मुहम्मद(सल्लल्लाहु अलैहिव सल्लम) के बारेमें वह स्पष्टशुभसूचनाएं औरभविष्यवाणियाँहैं जो हिुन्दूधर्म के पवित्रग्रंथों में वर्णितहुई हैं। वह शुभसूचनाएंया भविष्यवाणियाँआवश्यक रूप सेइन सभी पुस्तकोंकी सत्यता और सुरक्षाका संकेत नहींदेती हैं, बल्कि उनमेंप्रमाणित कुछ सचबातों को इंगितकरती हैं, जो उन पैगंबरोंऔर ईश्दूतों सेउद्धृत हैं जोप्राचीन समय मेंभेजे गए थ।

इन ग्रंथोंको आदरणीय डॉ. मुहम्मदज़ियाउर्र रहमानआज़मी ने अपनी बहुमूल्यपुस्तक ‘‘दिरासात फिलयहूदिय्या वल मसीहिय्याव अदयानिल हिंद’’ (पृष्ठ703-746) में उल्लेख कियाहै, विशेषकरडॉ. साहब हिंदुस्तानसे संबंध रखतेहैं और उन पुस्तकोंको पढ़ने में महारतरखते हैं जिनकामेरे ज्ञान केअनुसार अभी तकअरबी भाषा मेंअनुवाद नहीं हुआहै।

1- ”उस समय ‘‘शम्भल’’ गांव [अर्थातशांति वाला नगर], में एक आदमीके पास जिसका नाम”विष्णु व्यास’’ (अब्दुल्लाहयानी अल्लाह कादास), होगा और वह विनम्रहृदय वाला होगा, उसके घर(कल्कि) [पापों औरगुनाहों का निवारक], पैदा होगा।’’ [भागवत पुराण], (2/18) .

यह बात सर्वज्ञातहै कि हमारे ईश्दूतमुहम्मद सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमके पिता का नाम(अब्दुल्लाह) है, और क़ुरआनकरीम में मक्काका नाम ‘‘अल-बलदुल अमीन’’ यानी शांतिवाला शहर है।

2- ”(विष्णु व्यास)के घर उनकी पत्नी(सोमती) [सुरक्षाव शांतिवाली, आमिना]से (कल्कि)पैदा होगा।’’ (कल्किपुराण 2/11).

यह बात भीसर्वज्ञात है किहमारे ईश्दूत मुहम्मदसल्लल्लाहु अलैहिव सल्लम की माँका नाम आमिना बिन्तवहब है।

3- ”वह चाँद केप्रकट होने केबारवहें दिन एकऐसे महीने मेंपैदा होगा जिसकानाम (माधवह) [अर्थातऐसा महीना जो दिलोंको प्रिय है औरवह रबीअ (बसंत) कामहीना] है।’’ (कल्किपुराण 2/15).

पैगंबर कीजीवनी की पुस्तकेंआप सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमके जन्म की तिथिके वर्णन से भरीपड़ी हैं, और वह रबीउलअव्वल की बारहवींतारीख में है, यद्यपिइसमें मतभेद है।

4- ”(कल्कि) पाँचगुणों से विशिष्टहोगा :

1. (PRAGYA-प्रज्ञा) [भविष्यके बारे में सूचनादेगा].

2. (CULINATA-कुलीनता)[अपनी जातिमें सबसे कुलीन] .

3. (INDRIDAMAN-इन्द्रिदमन)[अपनी आत्मापर नियंत्रण रखनेवाला]

4. (SHRUT-श्रुत)[उसकी ओरवह्य की जाएगी].

5. (PRAKRAM-प्रक्रम)[बलवान, मज़बूत].

6. (ABHU BHASHITA-अभु भाषिता)[अल्पभाषी].

7. (DAN-दान) [दानशील].

8. (KRITAGYATA-कृतज्ञता)[उपकारके प्रति आभारी].

यह हमारे नायकमुहम्मद सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमके उन गुणों औरविशेषताओं का कुछअंश है जिनको आपसल्लल्लाहु अलैहिव सल्लम को जाननेवालेसभी अरब के लोगोंने स्वीकारा है, चाहे वेइस्लाम में प्रवेशकिए हों या अपनीनास्तिकता पर बनेरहे हों।

5- ”वह घोड़े कीसवारी करेगा, उससे प्रकाशनिकलेगा। उसकेप्रताप और सुंदरताकी कोई समानतानहीं कर सकता।वह खत्ना कियाहुआ होगा, लाखों अत्याचारियोंऔर नास्तिकों कोफांसी देगा।’’ [भागवत पुराण12-2-20],

हिन्दुओंके यहाँ खत्नानहीं होता है, बल्किवह मुहम्मद सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमकी उम्मत (अनुयायियों)के पुरूषों काएक इस्लामी कर्तव्यहै।

6- ”वह अपने चारसाथियों की मददसे शैतान का नाशकरेंगे, और स्वर्गदूत(फरिश्ते) उनकीलड़ाइयों में उनकासहयोग करने केलिए धरती पर उतरेंगे।’’ [कल्कि पुराण2/5-7].

हमारे पैगंबरसल्लल्लाहु अलैहिव सल्लम के चारसाथी, वे खुलफा-ए-राशेदीनहैं जिन्हों नेआपके बाद शासनकिया और इस्लामके विद्वानों कीइस बात पर सर्वसहमतिहै कि वे हमारेपैगंबर सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमके बाद सबसे अच्छेमानव हैं।

7- ”वह अपने जन्मके बाद पहाड़ परजायेंगे ताकि परशुराम[अर्थातमहान शिक्षक]से शिक्षाप्राप्त करें।फिर वह उत्तर कीओर जायेंगे, फिर वहअपने जन्मस्थानकी ओर वापस लौटआयेंगे।’’ [कल्कि पुराण].

नबी सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमइसी तरह थे, आप हिरानामी गुफा मेंएकांत में रहाकरते थे यहाँ तककि जिब्रील अलैहिस्सलामआपके पास वह्यलेकर आए। फिर आपने उत्तर की दिशामें मदीना मुनव्वराकी ओर हिजरत किया, फिर आपएक विजेता के रूपमें मक्का वापसआए।

8- ”लोग उसकेशरीर से निकलनेवाले सुगंध सेमुग्ध हो जाएंगे।उसके शरीर का पवित्रसुगंध हवा मेंमिश्रित होकर, आत्माओंऔर मनों को कोमलकरदेगा।’’ [भागवतपुराण 2/2/21].

9- ”सबसे पहलेजिसने वध कियाऔर बलिदान दियावह अहमदू है, तो वह सूर्यके समान हो गया।’’ [साम वेद 3/6/8].

10- ”एक आध्यात्मिकशिक्षक अपने सम्मानितसाथियों के साथआएगा, और लोगों के बीचमहामद के नाम सेप्रसिद्ध होगा।राजकुमार उसकायह कहते हुए स्वागतकरेगा : ऐ रेगिस्तानके निवासी! शैतानको पराजित करनेवाले, चमत्कारवाले, हर बुराई से पवित्र, सत्य परस्थापित, अल्लाह केज्ञान में दक्ष, उससे प्यारकरनेवाले, तुझे सलाम(तुझ पर अल्लाहकी शांति हो), मैं आपकादास हूँ, मैं आपके पैरोंके नीचे जीता हूँ।’’

[भविष्य पुराण3/3/5-8].

11- ”इन चरणोंके दौरान, जब मानव जातिके लिए सामूहिकभलाई के प्रकटहोने का समय आ जाएगा, तो सत्यआगे बढ़ जाएगा, और (मुहम्मद)के प्रकट होन सेअंधकार मिट जाएगा, और समझऔर ज्ञान का प्रकाशउदय होगा।” [भागवतपुराण 2/76].

इन ग्रंथोंमें स्पष्ट रूपसे (मुहम्मद) या(अहमद) के नाम काउल्लेख किया गयाहै, और यह दोनोंआप सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमके नामों में सेहैं। अल्लाह तआलाका कथन है :

وَمُبَشِّرًا بِرَسُولٍيَأْتِي مِنْ بَعْدِي اسْمُهُ أَحْمَدُ [الصف : 4]

”औरएक रसूल की शुभसूचना देता हूँजो मेरे बाद आएगाएउसका नाम अहमदहोगा।” (सूरतुस-सफ: 6).

12- ”अग्नि देवीउज्जवल क़ानूनोंवाली, हमने तुझेधरती के ऊपर बलिदानपेश करने के लिएबनाया है।’’ [ॠग्वेद3,29,4].

13-”तथा[अथर्ववेद] और [ॠग्वेद] में – विभिन्न औरअनेक स्थानों पर- (नराशंस) [अर्थात्प्रशंसित मनुष्य]की शुभसूचनावर्णित है। उसकेगुणों के वर्णनमें आया है कि : वहपृथ्वी पर सबसेसुंदर व्यक्तिहोगा, उसका प्रकाश घरघर में प्रवेशकरेगा, वह लोगों को पापोंऔर कुर्कमों सेपवित्र करेगा।वह ऊँट की सवारीकरेगा। उसकी बारहपत्नियाँ होंगी. . . हे लोगो ! सुनो, (नराशंस)का चर्चा बढ़ जाएगा. . .(नराशंस)की प्रशंसा कीजाएगी, वह 60,090 लोगों के बीचसे हिजरत करेगा(विस्थापित होगा). . . मैंने (महामहे)को एक सौ शुद्धसोने के सिक्के, दस तस्बीहें, और तीनसौ घोड़े प्रदानकिए हैं।’’

पैगंबर कीजीवनी पर लिखीगई पुस्तकों मेंउपर्युक्त संख्यामें आप सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमकी पत्यिों केनाम गिनाए गए हैं।

14- ”एक पवित्रचरित्र वाला व्यक्तिरात के अंधेरेमें सिंध के राजा(राजा भूज) के पासआया और उससे कहा: हे राजा! आपका धर्म(आर्य धर्म) भारतमें सभी धर्मोंपर सर्वोपरि रखताहै, लेकिनमहानतम पूज्य केआदेश से, मैं एक ऐसेआदमी के धर्म कोआधिपत्य प्रदानकरूँगा जो हर पवित्रचीज़ को खाएगा, वह खत्नाकिया हुआ होगा, उसके सिरपर लटकनेवाली लटया सिर पर बंधीहुई चोटी नहींहोगी, उसकी लंबी दाढ़ीहोगी। वह एक बड़ीक्रांति पैदा करेगा।लोगों में अज़ानदेगा। वह, सूअर के अलावा, हर पवित्रचीज़ खाएगा। उसकाधर्म सभी धर्मोंको मंसूख (निरस्त)कर देगा, हमने उनकानाम मुसलाई रखाहै। महान पूज्यने इस धर्म की उनकीओर वह्य (ईश्वरीयवाणी)की है।’’ [भविष्य पुराण3/3/3/23-27].

हम कहते हैंकि नमाज़ के लिएअज़ान देना, और सूअरके मांस से परहेज़करना इस्लामी शरीअतके सबसे प्रमुखविशेषताओं मेंसे है। और उसकेमाननेवालों कानाम (मुसलमान) है, (मुसलाई)नहीं है। लेकिनवे एक ही मूल वालेक़रीब शब्द हैं।

हम आपसे यहभी कहते हैं किहिन्दू धर्म केसिद्धांतकारोंके कथन के अपेक्षानुसार, आपके लिएइस्लाम धर्म कीआस्थाओं को धारणकरने और पैगंबरमुहम्मद सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमद्वारा लाए हुएधर्म को अपनानेकी अनुमति है ; क्योंकि- उनके दृष्टिकोणमें – हिन्दू धर्मगैर-भेदभाव (अपक्षपात)और सत्य के खोजसे विशिष्ट है, और यह आपकेहिन्दुत्व को प्रभावितनहीं करेगा, चाहे आपअल्लाह में विश्वासरखें या न रखें।महत्वपूर्ण यहहै कि आप सत्य केलिए अपनी तलाशजारी रखें।

भारतीय नेता‘‘गांधी’’ का कहना है:

‘‘हिन्दूधर्म का यह सौभाग्यहै कि उसका कोईप्रमुख सिद्धांतनहीं है। यदि मुझसेउसके बारे मेंप्रश्न किया जाएतो मैं कहूँगाकि : उसका सिद्धांतपक्षपात न करनाऔर अच्छे ढंग सेसत्य की खोज करनाहै। रही बात सृष्टिकर्ताके अस्तित्व मेंविश्वास रखने यान रखने की, तो यह दोनोंसमान हैं। और किसीहिन्दू आदमी केलिए यह ज़रूरी नहींहै कि वह सृटिष्कर्तामें विश्वास रखे।वह एक हिन्दू है, चाहे वहविश्वास रखे याविश्वास न रखे।’’

तथा उनका यहभी कहना है कि :

‘‘हिन्दूधर्म का सौभाग्यहै कि वह हर सिद्धांत(आस्था) से अलग है।परन्तु वह अन्यधर्मों के सभीमौलिक बातों औरप्रमुख सिद्धांतोंको घेरे हुए है।’’ उनकी पुस्तक‘‘हिन्दूधर्म’’ (HINDU DHARM) से समाप्तहुआ।

इसे मैंनेडॉ. आज़मी की पुस्तक‘‘दिरासातफिल यहूदिय्यावल मसीहिय्या वअदयानिल हिंद’’ (यहूदीधर्म, ईसाई धर्म और भारतके धर्मों का अध्ययन)(पृष्ठ 529-530) से उद्धृतकिया है।

अधिक जानकारीके लिए उत्तर संख्या: (126472) देखें।

आप इसे इस्लामका अध्ययन करने, उसकी अच्छाइयोंऔर विशेषताओं मेंविचार करने, और अन्यसभी धर्मों परउसकी विशिष्टताओंको तलाश करने केलिए अपना प्रारंभिकबिंदु क्यों नहींबना लेते। क्योंकिइस्लाम अपने पूर्ववर्तीसभी धर्मों कोमंसूख करनेवालाहै। और इस्लामके पैगंबर मुहम्मदसल्लल्लाहु अलैहिव सल्लम, अपने पूर्वसभी ईश्दूतों औरपैगंबरों की शुभसूचनाहैं। यह मामलाबहुत गंभीर औरखतरनाक है। क्योंकिक़ुरआन करीम मोक्षके पथ को केवल एकेश्वरवादके धर्म, इस्लाम केमार्ग में सीमितकरता है। अल्लाहसर्वशक्तिमानका फरमान है :

وَمَنيَبْتَغِ غَيْرَ الإِسْلاَمِ دِيناً فَلَن يُقْبَلَ مِنْهُ وَهُوَ فِي الآخِرَةِمِنَ الْخَاسِرِينَ  [آل عمران : 85].

‘‘और जो व्यक्तिइस्लाम के सिवाकोई अन्य धर्मढूंढ़ेगा, तो वह (धर्म)उससे स्वीकार नहींकिया जायेगा, और आखिरतमें वह घाटा उठानेवालों में से होगा।’’ (सूरत आल-इम्रान: 85).

अधिक जानकारीके लिए प्रश्नसंख्या : (175339) का उत्तरदेखें।

और अल्लाहही सबसे अधिक ज्ञानरखता है।

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