हर प्रकारकी प्रशंसा और गुणगान अल्लाह के लिए योग्य है।
जिस आदमीको किसी दूसरे की ओर से हज्ज करने के लिए प्रतिनिधि बनाया गया है उसके लिए उस मज़दूरीको लेना जाइज़ है जो उसके लिए उस हज्ज को करने के बदले निर्धारित किया गया है,यद्यपि वह उस सेअधिक ही क्यों न हो जो उसने परिवहन, खाने,पीने और इसी के समान हज्ज की अदायगी के लिएअन्य अनिवार्य चीज़ों में खर्च किया है। तथा उसके लिए धर्म संगत यह है कि वह इसके द्वाराभलाई में भाग लेने और अल्लाह तआला ने हरम शरीफ में उसके लिए जिन इबादतों की अदायगीको आसान कर दिया है उसका क़सद व इरादा करे,उसका मक़सद केवल पैसा (धन) न हो।
और अल्लाहतआला ही तौफीक़ प्रदान करने वाला है।