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किसी के बारे में यह नहीं कहा जायेगा कि वह अल्लाह का उत्तराधिकारी है

प्रश्न: 31900

मैं ने कुछ किताबों में यह इबारत पढ़ी है कि : (ऐ मुसलमानो! तुम अल्लाह के उसकी धरती पर ख़लीफा –उत्तराधिकारी - हो), तो इस इबारत का क्या हुक्म है ?

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा एवं गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है, तथा दुरूद व सलाम की वर्षा हो अल्लाह के रसूल पर। इसके बाद :

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।

“यह अभिव्यक्ति अपने अर्थ के दृष्टि से सही नहीं है ; क्योंकि अल्लाह तआला ही हर चीज़ का पैदा करनेवाला और उसकामालिक है,वह अपनी सृष्टिऔर मिल्कियत से ओझल नहीं है कि वह अपनी धरती पर अपना कोई (ख़लीफा) उत्तराधिकारी बनाए, बल्कि अल्लाह तआला धरती पर कुछ लोगों को कुछ लोगों काउत्तराधिकारी बनाता है। जब कोई व्यक्ति या समूह या समुदाय खत्म हो जाता है तो वह उसीमें से उसके अलावा को उत्तराधिकारी बना देता है जो धरती के निर्माण में उसका प्रतिनिधित्वकरता है,जैसाकि अल्लाहतआला का फरमान है :

وَهُوَ الَّذِي جَعَلَكُمْ خَلائِفَ الأَرْضِ وَرَفَعَبَعْضَكُمْ فَوْقَ بَعْضٍ دَرَجَاتٍ لِيَبْلُوَكُمْ فِي مَا آتَاكُمْ[الأنعام: 165]

“और उसी(अल्लाह) ने तुम को धरती में खलीफा (उत्तराधिकारी) बनाया और एक के पदों को दूसरे केऊपर बढ़ाया ताकि जो कुछ तुम्हें प्रदान किया है उसमें तुम्हारी परीक्षा करे।” (सूरतुलअनआम : 165).

तथा अल्लाह तआला ने फरमाया :

قَالُوا أُوذِينَا مِنْ قَبْلِأَنْ تَأْتِيَنَا وَمِنْ بَعْدِ مَا جِئْتَنَا قَالَ عَسَى رَبُّكُمْ أَنْ يُهْلِكَعَدُوَّكُمْ وَيَسْتَخْلِفَكُمْ فِي الأَرْضِ فَيَنْظُرَ كَيْفَ تَعْمَلُونَ[الأعراف : 129]

“उन्होंने कहा कि आप के हमारे पास आने से पहले भी हमें कष्ट दिया गया और आप के हमारे पास आनेके बाद भी,उन्हों नेकहा कि जल्द ही तुम्हारा पालनहार तुम्हारे दुश्मनों को बर्बाद कर देगा और इस धरती काउत्तराधिकार तुम को दे देगा, फिरदेखेगा कि तुम्हारा कार्य कैसा है ?” (सूरतुल आराफ़ : 129).

तथा अल्लाह तआला का फरमान है :

وَإِذْ قَالَ رَبُّكَ لِلْمَلائِكَةِ إِنِّي جَاعِلٌ فِي الأَرْضِ خَلِيفَةً [البفرة : 30]

“और जब तुम्हारेपालनहार ने फरिश्तों से कहा कि मैं धरती में एक ख़लीफा बनाने वाला हूँ।” (सूरतुल बक़रा : 30)

अर्थात: एक ऐसा प्राणि वर्ग जो अपने से पहले के प्राणि वर्गोंके उत्तराधिकारी होंगे।” अंत हुआ।

“फतावास्थायी समिति” (1/33) से.

नववी रहिमहुल्लाह अपनी किताब “अल-अज़कार”में फरमाते हैं :

अध्याय ऐसे शब्दों के विषय में जिनका उपयोग करना अनेच्छिक है।

मुसलमानों के मामले के ज़िम्मेदार को अल्लाह का खलीफ़ा (अर्थातउत्तराधिकारी) नहीं कहा जाना चाहिए, उसे ख़लीफ़ा अर्थात उत्तराधिकारी, और पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का खलीफ़ा (उत्तराधिकारी)और अमीरूल मोमिनीन कहा जाना चाहिए . . .

इब्ने अबू मुलैका से वर्णित है कि एक आदमी ने अबू बक्र सिददीक़रज़ियल्लाहु अन्हु से कहा : ऐ अल्लाह के ख़लीफ़ा ! तो उन्हों ने कहा : मैं मुहम्मद सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लम का ख़लीफ़ा (उत्तराधिकारी) हूँ, और मैं इसी पर संतुष्ट हूँ।

तथा एक आदमी ने उमर बिन ख़त्ताब रज़ियल्लाहु अन्हु से कहा : ऐअल्लाह के ख़लीफ़ा ! तो उन्हों ने कहा : तेरा बुरा हो, तू ने बहुत बड़ी बात कह दी। मेरी माँ ने मेरा नाम उमररखा है तो अगर तू मुझे इस नाम से पुकारता तो मैं स्वीकार कर लेता। फिर मैं बड़ा हो गयातो मेरी कुन्नियत अबू हफ्स हो गई, तोअगर तुम मुझे इसी से पुकारते तो मैं इसे स्वीकार कर लेता, फिर आप लोगों ने मुझे अपने मामले की ज़िम्मेदारी सौंपदी तो मेरा नाम अमीरूल मोमिनीन रख दिया, तो अगर तुम मुझे इसी नाम से पुकारते तो आपके लिए काफीथा।

तथा महान क़ाज़ी अबुल हसन अल मावरदी अल बसरी जो कि शाफई मत केएक फक़ीह (धर्मशास्त्री) हैं, अपनी पुस्तक ‘‘अल अहकामुस्सुलतानिया” में उल्लेख किया है कि : इमामको खलीफ़ा का नाम दिया गया ; क्योंकिवह अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का आपकी उम्मत के अंदर उत्तराधिकार करताहै। वह कहते हैं : अतः सामान्य रूप से खलीफ़ा कहना जायज़ है, और खलीफतो रसूलिल्लाह कहनाभी जायज़ है।

वह कहते हैं : हमारे कथन खलीफतुल्लाह कहने में लोगों ने मतभेदकिया है,चुनाँचे कुछविद्वानों ने इसे जायज़ ठहराया है क्यांकि वह उसकी सृष्टि में उसके हुक़ूक की अदायगीकरता है,और इसलिए कीअल्लाह का फरमान है:

هُوَ الَّذِيجَعَلَكُمْ خَلائِفَ في الأرْضِ [فاطر : 39]

“उसी ने तुम को धरती में ख़लीफा (एक दूसरे के बाद आने वाला)बनाया।” (सूरत फातिर : 39)

जबकि विद्वानों की बहुमत ने इससे मना किया है, और इसके कहने वाले को अनैतिकता की तरफ मंसूब किया है।यह मावरदी का बात है। नववी रहिमहुल्लाह की बात समाप्त हुई।

संदर्भ

स्रोत

साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर