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एहराम में प्रवेश करने के कुछ समय बाद शर्त लगाना सही नहीं है

प्रश्न: 37055

मैं एहराम में प्रवेश करते समय यह कहकर शर्त लगना भूल गया :   إِنْ حَبَسَنِيْ حَابِسٌ فَمَحِلِّيْ حَيْثُ حَبَسْتَنِيْ (इन ह-ब-सनी हाबिसुन फ-महिल्ली हैसो हबस्तनी) ‘‘यदि मुझे कोई रूकावट पेश आ गई, तो मैं वहीं हलाल हो जाऊँगा जहाँ तू मुझे रोक दे।’’ मुझे यह उस समय याद आया जब मैं मक्का में प्रवेश कर रहा था, तो मैंने इसे कह लिया। तो क्या यह शर्त लगाना सही हैॽ

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा एवं गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है, तथा दुरूद व सलाम की वर्षा हो अल्लाह के रसूल पर। इसके बाद :

यह सही नहीं है; क्योंकि शर्त एहराम में प्रवेश करते समय लगाई जानी चाहिए, उसके बाद नहीं।

शैख इब्ने बाज़ रहिमहुल्लाह से एहराम में प्रवेश करने के कुछ समय बाद शर्त लगाने के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा :

“उसके लिए ऐसा करना सही नहीं है, बल्कि उसे एहराम बाँधते समय कहा जाएगा। एहराम बाँधने का मतलब यह है कि : वह अपने दिल से उसमें प्रवेश करने का इरादा करे।” उद्धरण समाप्त हुआ।”

“फतावा इब्ने बाज़” (17/73)।

संदर्भ

स्रोत

साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर