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रोज़े के कारण मुँह से जबड़े के ब्रेसेस को निकालना ज़रूरी नहीं है

प्रश्न: 37665

क्या रोज़ा रखते समय मुझे जबड़ा सीधा करने के जंगम ब्रेस को निकालना ज़रूरी हैॽ क्योंकि जब मैं बात करता हूँ और वह मेरे मुँह में होता है, तो वह बहुत अधिक लार स्रावित करता है और मुझे उसे निगलना पड़ता है। कृपया हमें सूचित करें, अल्लाह आपको हर भलाई प्रदान करे।

उत्तर का पाठ

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

रोज़ा रखने के लिए जंगम जबड़ा ब्रेसिज़ निकालने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इसमें से कुछ भी पेट में नहीं जाता है। तथा उसका लार के स्राव में वृद्धि का कारण बनना उसे रोज़ा तोड़ने वाला तत्व नहीं बनाता है।

विद्वानों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि रोज़ा रखने वाले व्यक्ति के लिए रोज़े की स्थिति में अपने मुँह में एक दिरहम (सिक्का) रखना जायज़ है, और मुँह में जबड़ा सीधा करने का ब्रेस लगाना दिरहम रखने की तुलना में जायज़ होने के अधिक उचित है, क्योंकि इनसान जबड़ा सीधा करने का ब्रेसेस ज़रूरत के कारण ही लगाता है।

इमाम अहमद रहिमहुल्लाह ने फरमाया : “जो कोई रोज़े की हालत में अपने मुँह में दिरहम या दीनार रखता है, तो जब तक वह उसका स्वाद अपने गले में नहीं पाता है, इसमें कोई आपत्ति की बात नहीं है, लेकिन अगर वह उसका स्वाद पाता है, तो मुझे यह पसंद नहीं है।” उद्धरण समाप्त हुआ। “अल-मुग़नी” (4/359).

फिर यह बात भी है कि यदि लार निगल ली जाए, भले ही वह बहुत अधिक हो, तो इससे उसके रोज़े को कोई नुक़सान नहीं पहुँचता।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत

साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर

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