शाबान के दूसरे अर्ध भाग में रमज़ान के छूटे हुए रोज़ों की क़ज़ा करने में कोई आपत्ति की बात नहीं है
रमज़ान के छूटे हुए रोज़ों की क़ज़ा करने की नीयत से शक के दिन रोज़ा रखना
शाबान के अंतिम दिन गीतों के साथ खाने के लिए एकत्रित होना
क्या यह बात सही है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर स्वैच्छिक रोज़े इकट्ठा हो जाते थे तो आप उन्हें शाबान में कज़ा करते थेॽ
शक के दिन का रोज़ा रखना
शाबान के दूसरे अर्द्ध में रोज़ा रखने से निषेध
क्या अल्लाह तआला अर्द्ध शाबान की रात को पहले आकाश पर उतरता हैॽ
शाबानिया (शब-ए-बारात) की बिदअत
अर्ध शाबान की रात को कोई विशिष्ट उपासना नहीं की जायेगी
क्या शाबान के पूरे महीने का रोज़ा रखना मुस्तहब है ?
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