फिक़्ह (इसलामी शास्त्र) और उसके सिद्धांत
सामूहिक नमाज़ दो लोगों : इमाम और एक मुक़तदी द्वारा आयोजित हो जाती है।
सहेजेंरकअत कैसे मिलती है?
सहेजेंवित्र की नमाज़ के वर्णित तरीक़ों का विवरण
सहेजेंचाश्त की नमाज़ का समय
सहेजेंसुन्नते-मुअक्कदा की नमाज़ दस रकअत है या बारह रकअत, और क्या इसे जमाअत के साथ पढ़ना जायज़ हैॽ
सही दृष्टिकोण के अनुसार नियमित (मुअक्कदा) सुन्नतें बारह रकअत हैं : फज्र से पहले दो रकअत, ज़ुहर से पहले चार रकअतें दो सलाम के साथ और उसके बाद दो रकअत, मग़रिब के बाद दो रकअत और इशा के बाद दो रकअत।सहेजेंनमाज़ के लिए निषिद्ध समय में कौन-सी सुन्नत की नमाज़ पढ़ना जायज़ हैॽ
सहेजेंनफ्ल नमाज़ पढ़ने के निषिद्ध समय
सहेजेंतिलावत के सज्दा की विधि और उसके लिए पवित्रता
सहेजेंएक नई मुस्लिम महिला को सूरतुल-फातिहा पढ़ने में कठिनाई होती है
सूरतुल-फ़ातिहा पढ़ने में गलती करने वाले की नमाज़ का अमान्य होना सामान्य रूप से हर किसी पर लागू नहीं होता है। क्योंकि सूरतुल-फ़ातिहा पढ़ने में होने वाली हर गलती नमाज़ को अमान्य नहीं करती है, बल्कि नमाज़ तभी अमान्य होती है जब वह सूरतुल-फ़ातिहा में से कुछ छोड़ दे या ए’राब (मात्राओं, यानी स्वर चिह्न : ज़बर, ज़ेर और पेश आदि) में ऐसा बदलाव कर दे जो शब्द के अर्थ को विकृत कर दे। फिर यह नियम, अर्थात् नमाज़ की अमान्यता, केवल उस व्यक्ति पर लागू होता है जो सूरतुल-फ़ातिहा को सही ढंग से पढ़ने में सक्षम है या वह इसे सीखने में सक्षम है, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। जहाँ तक उस व्यक्ति की बात है जो ऐसा करने में असमर्थ है, वह इसे अपनी शक्ति के अनुसार पढ़ेगा और इससे उसे कोई नुकसान नहीं होगा। क्योंकि अल्लाह किसी आत्मा पर उसकी क्षमता से अधिक बोझ नहीं डालता।सहेजेंनबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ का तरीक़ा
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